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Talk:Minimax

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Pseudocode does not correspond to equation in terms of recursion depth

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The equation puts both a min and a max in one line. The pseudocode does one or the other in each recursion. While the pseudocode might "work" in practice, perhaps there should be a mention about how the recursion depth differs be a factor of 2 between the pure math and the pseudocode. 75.164.46.94 (talk) 00:14, 13 October 2022 (UTC)[reply]

"Planet Fun" listed at Redirects for discussion

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An editor has identified a potential problem with the redirect Planet Fun and has thus listed it for discussion. This discussion will occur at Wikipedia:Redirects for discussion/Log/2022 November 14#Planet Fun until a consensus is reached, and readers of this page are welcome to contribute to the discussion. Liz Read! Talk! 22:51, 14 November 2022 (UTC)[reply]

Nadeem koriai 82

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nadeem koriai 82 2402:E000:505:7AD3:0:0:0:1 (talk) 05:15, 4 January 2025 (UTC)[reply]

fighting each other/punching/Kung Fu/jumping

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fighting each other/punching/Kung Fu/jumping 196.137.111.168 (talk) 16:42, 8 March 2025 (UTC)[reply]

गाँव में एक पुराना और बड़ा हवेलीनुमा घर था, जिसे लोग "भूतिया हवेली" कहते थे। वहाँ पिछले कई सालों से कोई नहीं रहता था, लेकिन कुछ लोग कहते थे कि रात के समय वहाँ से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं। रामू, जो गाँव का सबसे जिज्ञासु लड़का था, हमेशा उस हवेली के बारे में जानने को उत्सुक रहता। उसने अपने दोस्तों को कई बार उस हवेली में जाने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन डर के कारण कोई भी उसके साथ जाने को तैयार नहीं हुआ। एक दिन, रामू ने खुद ही तय कर लिया कि वह हवेली में जाकर सच्चाई पता लगाएगा। अगली रात, जब पूरा गाँव सो गया, तो रामू ने एक टॉर्च उठाई और चुपके से हवेली की ओर बढ़ चला। हवेली के चारों ओर घना अंधेरा था, और वहाँ की टूटी-फूटी दीवारें डरावनी लग रही थीं। उसने हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे हवेली के अंदर कदम रखा। जैसे ही उसने अंदर प्रवेश किया, उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसकी तरफ देख रहा हो। दीवारों पर धूल जमी थी, और पुराने फर्नीचर पर मकड़ी के जाले लटके हुए थे। अचानक, एक दरवाजा अपने आप ज़ोर से बंद हो गया। रामू का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। "क...कौन है?" उसने काँपती आवाज़ में पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। वह धीरे-धीरे अंदर की ओर बढ़ने लगा। तभी उसे एक कमरे के अंदर से धीमी-धीमी आवाज़ें सुनाई देने लगीं। ऐसा लग रहा था जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। रामू की हिम्मत अब जवाब देने लगी थी, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत करके दरवाजा खोला। अंदर का नज़ारा देखकर उसके होश उड़ गए! वहाँ कुछ लोग बैठे हुए थे, जिनके चेहरे नकाब से ढके हुए थे। उनके सामने एक बड़ा संदूक रखा था, और वे आपस में फुसफुसा रहे थे। "हमें यह खजाना जल्दी से यहाँ से निकालना होगा। अगर गाँववालों को पता चल गया, तो मुश्किल हो जाएगी," उनमें से एक आदमी बोला। रामू को समझते देर नहीं लगी कि ये लोग चोरी किए हुए सामान को यहाँ छुपा रहे हैं। अब उसके सामने दो ही रास्ते थे – या तो वह भागकर गाँववालों को बुलाए, या फिर छिपकर सब कुछ देखे। रामू ने हिम्मत दिखाई और चुपके से वहाँ से निकल गया। गाँव पहुँचते ही उसने यह बात चौधरी जी को बताई, जो गाँव के मुखिया थे। जल्दी ही गाँव के कुछ बहादुर लोग इकठ्ठा हुए और सबने मिलकर हवेली को घेर लिया। जब गाँववालों ने हवेली के अंदर प्रवेश किया, तो वे चोर रंगे हाथों पकड़े गए। उनके पास से कई पुराने चोरी किए गए सामान और कीमती वस्तुएँ बरामद हुईं। पुलिस को बुलाकर उन्हें पकड़वा दिया गया। अगले दिन, पूरे गाँव में रामू की बहादुरी की चर्चा होने लगी। जो हवेली अब तक भूतिया मानी जाती थी, उसकी सच्चाई सामने आ चुकी थी। दरअसल, वहाँ कोई भूत नहीं था, बल्कि चोरों का अड्डा था। रामू के संदेह ने एक बड़ा राज़ खोल दिया था, और उसकी हिम्मत के कारण गाँव एक बड़ी मुसीबत से बच गया। मुखिया जी ने सबके सामने उसकी तारीफ की और उसे इनाम भी दिया। उस रात, रामू ने चैन की नींद सोई, क्योंकि अब उसे पता था कि डर के पीछे अक्सर सिर्फ एक रहस्य होता है, जिसे सुलझाने की हिम्मत होनी चाहिए।

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गाँव में एक पुराना और बड़ा हवेलीनुमा घर था, जिसे लोग "भूतिया हवेली" कहते थे। वहाँ पिछले कई सालों से कोई नहीं रहता था, लेकिन कुछ लोग कहते थे कि रात के समय वहाँ से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं। रामू, जो गाँव का सबसे जिज्ञासु लड़का था, हमेशा उस हवेली के बारे में जानने को उत्सुक रहता। उसने अपने दोस्तों को कई बार उस हवेली में जाने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन डर के कारण कोई भी उसके साथ जाने को तैयार नहीं हुआ। एक दिन, रामू ने खुद ही तय कर लिया कि वह हवेली में जाकर सच्चाई पता लगाएगा। अगली रात, जब पूरा गाँव सो गया, तो रामू ने एक टॉर्च उठाई और चुपके से हवेली की ओर बढ़ चला। हवेली के चारों ओर घना अंधेरा था, और वहाँ की टूटी-फूटी दीवारें डरावनी लग रही थीं। उसने हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे हवेली के अंदर कदम रखा। जैसे ही उसने अंदर प्रवेश किया, उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उसकी तरफ देख रहा हो। दीवारों पर धूल जमी थी, और पुराने फर्नीचर पर मकड़ी के जाले लटके हुए थे। अचानक, एक दरवाजा अपने आप ज़ोर से बंद हो गया। रामू का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। "क...कौन है?" उसने काँपती आवाज़ में पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। वह धीरे-धीरे अंदर की ओर बढ़ने लगा। तभी उसे एक कमरे के अंदर से धीमी-धीमी आवाज़ें सुनाई देने लगीं। ऐसा लग रहा था जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। रामू की हिम्मत अब जवाब देने लगी थी, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत करके दरवाजा खोला। अंदर का नज़ारा देखकर उसके होश उड़ गए! वहाँ कुछ लोग बैठे हुए थे, जिनके चेहरे नकाब से ढके हुए थे। उनके सामने एक बड़ा संदूक रखा था, और वे आपस में फुसफुसा रहे थे। "हमें यह खजाना जल्दी से यहाँ से निकालना होगा। अगर गाँववालों को पता चल गया, तो मुश्किल हो जाएगी," उनमें से एक आदमी बोला। रामू को समझते देर नहीं लगी कि ये लोग चोरी किए हुए सामान को यहाँ छुपा रहे हैं। अब उसके सामने दो ही रास्ते थे – या तो वह भागकर गाँववालों को बुलाए, या फिर छिपकर सब कुछ देखे। रामू ने हिम्मत दिखाई और चुपके से वहाँ से निकल गया। गाँव पहुँचते ही उसने यह बात चौधरी जी को बताई, जो गाँव के मुखिया थे। जल्दी ही गाँव के कुछ बहादुर लोग इकठ्ठा हुए और सबने मिलकर हवेली को घेर लिया। जब गाँववालों ने हवेली के अंदर प्रवेश किया, तो वे चोर रंगे हाथों पकड़े गए। उनके पास से कई पुराने चोरी किए गए सामान और कीमती वस्तुएँ बरामद हुईं। पुलिस को बुलाकर उन्हें पकड़वा दिया गया। अगले दिन, पूरे गाँव में रामू की बहादुरी की चर्चा होने लगी। जो हवेली अब तक भूतिया मानी जाती थी, उसकी सच्चाई सामने आ चुकी थी। दरअसल, वहाँ कोई भूत नहीं था, बल्कि चोरों का अड्डा था। रामू के संदेह ने एक बड़ा राज़ खोल दिया था, और उसकी हिम्मत के कारण गाँव एक बड़ी मुसीबत से बच गया। मुखिया जी ने सबके सामने उसकी तारीफ की और उसे इनाम भी दिया।

उस रात, रामू ने चैन की नींद सोई, क्योंकि अब उसे पता था कि डर के पीछे अक्सर सिर्फ एक रहस्य होता है, जिसे सुलझाने की हिम्मत होनी चाहिए। 2409:40E3:300E:3AC9:4134:B047:CC14:6FDF (talk) 14:29, 13 March 2025 (UTC)[reply]